बीहड़ में लगाएं बेर, अमरूद और गूलर, शहर से दूर होंगे बंदर, जानें किसने दिया यह सुझाव

कचरे में खाने की तलाश करने वाले बंदरों को यदि बीहड़ या वन क्षेत्र के जंगलों में बेर, अमरूद, गूलर जैसे फल मिल जाएंगे तो वे शहर से दूर हो जाएंगे। नमामि यमुना योजना में बबूल के जंगल, बीहड़ और नदियों के खादर में फलदार पौधे लगाने पर जोर दिया जा रहा है, जो आगरा-मथुरा जैसे शहरों में बंदरों की बड़ी समस्या भी दूर कर सकते हैं।


 

यह सुझाव वन अनुसंधान केंद्र, प्रयागराज के विशेषज्ञ डॉ. संजय सिंह और डॉ. कुमुद दुबे ने शुक्रवार को नमामि यमुना प्रोजेक्ट की डीपीआर के लिए हुई वर्कशॉप में दिए। वन अधिकारियों के साथ टूरिस्ट बंगले में हुई वर्कशॉप में यमुना का प्रदूषण बायो री-मेडिएशन, रिवरफ्रंट के जरिए कम करने पर चर्चा हुई। 

इसमें डीपीआर में वन चेतना केंद्रों को फिर पनपाने, बीहड़ों में तालाब, हर जिले में रेस्क्यू वैन और पिंजरा, यमुना घाट के पास हरियाली विकसित करने, किनारों पर पौधे लगाने के सुझाव दिए गए। यह रिपोर्ट मार्च तक मंत्रालय को सौंप दी जाएगी।
 
वर्कशॉप में अपर प्रधान वन संरक्षक के प्रवीन राव ने वन विभाग की नर्सरी में फलदार पौधों को अनिवार्य करने के निर्देश दिए। इस दौरान डीएफओ मनीष मित्तल, डीएफओ मथुरा मुकेश शर्मा सहित आगरा, फिरोजाबाद और मथुरा के एसडीओ और रेंजर मौजूद रहे।